Saturday, July 10, 2010

काश सोचने के पैसे मिलते!!

think_cartoonसुबह ७ बजे माताश्री ने रोज की ही तरह फ़ोन करके पूछा कि “उठ गये” और हम भी रोज की तरह ’हाँ  ’ कहके, २ मिनट नींद में  ही बातें करके सो गये। ८ बजे मोबाईल में लगा अलार्म भी बजा… फ़िर हर १० मिनट पर बजता रहा… फिर शायद मेरे रूममेट ने उसे बंद किया… खैर…

बाहर झमाझम बारिश हो रही थी और मेरे बेड ने जैसे मुझे एक चुम्बक की मानिंद पकड़ा हुआ था। उठने की हर कोशिश नाकाम थी और आँखें  बंद करके अपने सपने में ही ऑफिस निकलने की तैयारी कर रहे थे।

करीब साढ़े दस बजे इस स्वप्न संसार से बाहर आते हुए हमने बेड छोड़ा और किचेन में घुसते ही चाय चढ़ा दी और लैपटाप ऑन करके बैठ गये। खिड़की के बाहर घमासान बरसती बारिश और हाथों में अदरक की चाय… और ऎसे वक्त ऑफिस… कयामत हो…

बस आव देखा न ताव और फ़ेसबुक पर एक अपडेट मार दी कि ’हम काम क्यूं करते है – वाई डू वी वर्क?’

…… और फ़िर चुपचाप सर झुकाये ऑफिस चले गये…

अनुराग भाई ने उसी पर पूछा कि ’दूसरा आप्शन बताओ’ तो दिमाग के घोड़े दौड़ गये और बस एक फ़ितूर सोच लाये…

कुछ खास नही बस बैठे बिठाये हम सोच रहे थे कि काश सोचना भी एक योग्यता होती और हमें सोचने  के पैसे मिलते……

…… और अगर मिलते तो ये दुनिया कैसी होती?

 

शादी की बातें कैसे होती?:

- लड़का क्या करता है?
बम्बई मे किसी बड़ी कंपनी में है… …’सोचता’ है…

- लड़की बहुत पढी लिखी है… गृहकार्य के साथ साथ उसे सोचना अच्छा लगता है… सोचने का होबी कोर्स भी किया है…

- हमारी सुशील कन्या के लिये एक सुन्दर वर चाहिये… सोचने वालों को वरीयता दी जायेगी…

 

इंटरव्यू कैसे होते?

- पहले कभी ’सोचा’ है?? हमारी कंपनी में वीकेंड पर भी ’सोचते’ हैं… क्या तुम इतना ’सोच’ पाओगे?

- तो आप पहले किस कंपनी में ’सोचते’ थे?

- अच्छा… तो आप पिछले दस सालों से ’सोचते’ हैं? क्वाईट इंट्रेस्टिंग …

- अच्छा प्रोफ़ाईल है आपका… तो अभी तक आप किन किन चीज़ो पर सोच चुके है??

- कुछ सोच के दिखाओ? (दो इंटरव्यूवर सोचते हुये सामने वाले से सवाल पूछते है

 

दोस्तों में बातें कैसे होतीं?

- साला कॉलेज में सोचने को कह दो तो गधे के हाँथ पाँव फ़ूल जाते थे… आज देखो फ़लाना कंपनी में है… पता नही कैसे सोचता होगा? वहाँ भी किसी सोचने वाले की कॉपी करता होगा …

- यार मैंने उनसे ६ लाख मांगे लेकिन वो बोले कि साढ़े पांच ही देंगे … लेकिन सीखने के लिये सोचने का इतना अच्छा प्लेटफ़ार्म भी तो दे रहे हैं…

- अबे कुछ सोचना सिखा न? सोच रहा हू इस बार सोचने का सर्टिफ़िकेशन क्लीयर कर ही लूं… तू तो सोचने में एक्सपर्ट है…

- (बार में टल्ली होकर सोच को गाली देते हुये) कहा था साले से दारू पीने आ जाना… लेकिन साले को सोचने से फ़ुर्सत मिले तब ना… अबे अब जितनी जरूरत है उतना सोचो…

 

पैरेन्टस से बातें कैसी होतीं?

- दिन भर अपने दोस्तों के साथ आवारागर्दी करते रहते हो… कभी बैठकर कुछ सोचते क्यूं नहीं??

- बेटा थोड़ा बहुत तू भी सोच लिया कर… देखता नहीं तेरे पिताजी अब सोचते सोचते कितना थक जाते है…

- शर्मा जी के लड़के को देखो… तुमसे छोटा है लेकिन अभी से  सोचता है और तुम!

 

………… और ज़िंदगी यूं ही सोचते सोचते कट जाती ॥

 


पुनश्च:

शम्स जी के जुगाड़ में थोड़ा परिवर्तन करके टिप्पणियों का जवाब देने के लिये ब्लॉग से जोड़ लिया है… कुछ समय पहले ज्ञानजी ने इसको इम्प्लीमेन्ट किया था। आप सामान्य तरह से टिप्पणी कर सकते हैं!!


77 comments:

Arvind Mishra said...

सोचता हूँ कमेन्ट कर ही दूं :)

abhi said...

शर्मा जी के लड़के को देखो… तुमसे छोटा है लेकिन अभी से सोंचता है और तुम!

हा हा , :)
wonderful

रश्मि प्रभा... said...

kya soch hai ! mazaa aa gaya...paise milte to meri maa jeet karorpati hoti

प्रिया said...

अच्छा प्रोफ़ाईल है आपका… तो अभी तक आप किन किन चीज़ो पर सोंच चुके है??

- कुछ सोंच के दिखाओ? (दो इंटरव्यूवर सोंचते हुये सामने वाले से सवाल पूछते है)

Pankaj, Maza aa gaya padh kar...Kaun si company hai? Hamko bhi recommend karo na....Kasam se bada gazab ka soch lete hain ham....aur tumne bhi kya socha hai Boss....sochte raho :-)

Himanshu Mohan said...

अरे भाई, अब तो बड़े हो जाओ, उठ जाया करो सुबह-सुबह। हालाँकि अभी मैं ख़ुद नहीं सोच पाया कि उठने की क्या ज़रूरत है?
मगर सोचा बढ़िया आज आपने।
कई बार न सोचने के पैसे तो मिलते देखे हैं - सोचने के भी मिलें शायद - कभी।

richa said...

कसम से... क्या सोचा है... मज़ा आ गया सुबह-सुबह और सोचते हुए तुम्हारा फोटो तो बस चार चाँद लगा रहा है पोस्ट को... सॉरी ! सोच को :)
और बाकी सब तो ठीक है ये वीकेंड पे सोचने वाला क्लॉज़ मत मानना.... भला वीकेंड पे भी कोई सोचता है :P

Manoj K said...

अच्छा .. बहुत अच्छा . मज़ा आया पढ़कर.


सोचने का भी कोअर्स होता तो यहाँ बैठे सब सोचना पढ़ाने जाते ... सोचने में expertise हासिल करते या फिर कहीं सोचने की consultancy लिए बैठे होते ...


बहुत ही अच्छी सोच पंकज..

मनोज खत्री

Abhishek Ojha said...

सोचो सोचो... यही यथार्थ है बाकी सब माया है :)

निर्मला कपिला said...

सोचने के नहीं कमेन्ट देने के ही पैसे मिल जाते तब हमारे पति को भी पता चलता कि हम दिन भर कितना काम करते हैं। बहुत अच्छी लगी आपकी सोच। शुभकामनायें

@ngel ~ said...

Quite Interesting :)

Bhawna 'SATHI' said...

mja aaya gya ji,bhut dino bad kuch padh kr hansi hu..achi soch hai.

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

hum bhi soch hi rahe hain ki soch kar comment karen ya bakiyon ki tarah bina soche

पद्म सिंह said...

सोच !!! कभी भी आ सकती है ...
सोचने के बारे मे अच्छा सोचा आपने ... मै तो यही सोचता रह गया कि आपने सोचने पर सोचना शुरू कैसे किया ... इस सोच के लिए सोचता हूँ आपको सोचनीय एवार्ड मिलना चाहिए ... बहुत अच्छी सोच...
टी वी पर गाना भी यही चल रहा है ... सोचा नहीं तो सोचो अभी ...
सोच सोच कर थक गया ... बधाई ले लीजिए फिर आते हैं दुबारा ... नयी सोच के साथ

sonal said...

सच में agar सोचने के पैसे मिलते तो हमने भी गुच्ची का बैग ले लिया होता
नई सोच के लिए बधाई

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@5176018493933247064.0

कम्पनी का नाम मिलते ही सूचित करता हू :)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@8430025402808184588.0

:)

सोचत सोचत युग गया, सोच सका न कोय..
और सोचन जब पंकज चले, तो सोच बची न कोय...

Sanjeet Tripathi said...

ham to yahi soch rahe hain ki sochne ke paise kab milenge, baki soch hi to hai jo india me sab se jyada hai ( soch ke baad action bhale na ho)

mast likha hi

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@5539232023763687061.0

हमारी सोचती हुयी फ़ोटो आपको पसन्द आयी... अच्छा है.. कुछ सोचिये फ़िर..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@2839011444854025500.0

हाहा...
’कमेन्ट देने के पैसे’
वाह क्या सोच है...

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@3251351427148747922.0

अच्छा सोच रही है.. :)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@6271460510138569357.0

"सोच !!! कभी भी आ सकती है ..."

एक सोचनीय कथन..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@7446390831960693418.0

अच्छी सोच है.. :)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@640390252838372959.0

हे हे.. शायद हम सब करोडपति हो जाते :)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@8114404568239965673.0

ह्म्म!! रोज़ यही सोचता हू कि कल से पक्के से उठूगा और हर आने वाले कल यही सोच बदस्तूर जारी रहती है.. :(

ZEAL said...

bahut socha ki kya likhun?
fir socha ki sach hi likh dun.

gajab socha aapne !

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

अर्चना जी की ईमेल से टिप्पणी:

क्या सोचु ....बॉस तुमने सोच लिया.. अब हम सोच कर क्या करे . ऐसे ही बिना सोच वाले हैं.
लेकिन kuchh सोचना तो पड़ेगा ...पर वीकेंड पर सोचना भाई हम तो छुट्टी करेंगे.
बढ़िया है.

vandana gupta said...

अब तो सोचना पडेगा कि क्या कमेंट करूँ………………बहुत खूब सोचा।

PD said...

सोच समझ कर कुछ अच्छी सोच कमेन्ट करता हूँ.

Amrendra Nath Tripathi said...

सोच को लेकर बढियां सोच दिखाई है आपने .
अगर हममें यही सोचनशीलता रही तो विश्वस्तरीय विकसित सोच के हो जायेंगे .
मैंने अपनी पोस्ट में सार्वजनिक तौर पर 'सोच' के आग्रह की वकालत की और आपने
बात को काफी आगे बढाया ..
खैर सोच को लेकर बढियां कटाक्षरी ! .
इसे कहते हैं ब्लॉग पर सोच ठेलना . आभार !

अजय कुमार झा said...

अमां पंकज भाई ,
पहले नहीं बता सकते थे ...बेचारे हमारे चिंतामणि ....सबसे पहले अमीर हो जाते ...और फ़िर चाहे बाद में चिता मणि हो लेते फ़िर चाहे ।

यार आपके हरेक कमेंट के साथ आपका अकाऊंट बैलेंस भी दिखा रहा है ..बस ये समझ नहीं आ रहा है कि रुपए में है कि डॉलर में ..बैंक का नाम भी नहीं दिख रहा है ...चलिए अगले कमेंट में देख लेते हैं ।

Shiv said...

धन्य हैं प्रभो...बहुत जोर सोचे हैं.
बहुत मजेदार पोस्ट.
वाह!

ज्यादा सोच नहीं पाता इसलिए कमेन्ट छोटा है.

प्रवीण पाण्डेय said...

सोच सोच के थक जाते हैं तो यह सोचने लगते हैं कि क्यों थक गये ?
कौनो जोर नहीं इस पर और पैसा भी नहीं मिलेगा । क्या भारत में जीडीपी विस्फोट करना है?

shikha varshney said...

वाह क्या सोचा है ....इस पर तो जरुर पैसे मिलने चाहिए.:)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अभी तक गहन सोच में हैं....

सम्वेदना के स्वर said...

एक आदमी ने दूसरे को नौकरी के लिए बुलाया..काम बताया कि सिर्फ सोचना है और तनख़्वाह होगी बीस हज़ार रुपये... उसने पूछा कि मालिक आपकी तनख़्वाह कितनी है..पता चला दस हज़ार... वो चौंक गया कि दस हज़ार पाने वाला बीस हज़ार कैसे देगा... जवाब मिला यही सोचने के लिए तो तुम्हें रखा है... ये हुआ सोचने के पैसे मिलना...मज़ा आ गया पढकर..स्तुति ने रेकमेंड किया था...वाकई मज़ा आ गया!!!

Stuti Pandey said...

इसको कहते हैं "करेजा काट" पोस्ट...बहुत बहुत बहुत मजेदार!
अब चली मैं कुछ सोचने...आज शाम को कुछ मेहमान आ रहे हैं, उन्हें भी सोचवाना है!

Avinash Chandra said...

sochte hain...

प्रवीण त्रिवेदी said...

सोच ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है।
बाकी तो ज्ञानी गण ऊपर बहुत कुछ कह चुके |

अपूर्व said...

जिन सोचा तिन पाइयाँ, डीपर थिंकिंग पैठ
मै बपुरा सोचन डरा, रहा किनारे बैठ
सोचना एक भारी काम और योग्यता है..सो हमसे नही होता..आप कर सकते हो..
और वैसे हम तो ऐक्शन ओवर थिंकिंग वालो मे हैं..सो अगर अपनी पोस्ट को लक्षणा से व्यंजना का टच देने के लिये सोचने के स्थान पर ’करना’ करके देखिये..नये अर्थ सामने आ सकते है ;-)

anju said...
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anju said...
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anju said...
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Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

अन्जू जी आपकी टिप्पणी गलती से मुझसे डिलीट हो गयी। उसे वापस यहा पेस्ट कर रहा हू:-

1.majedaar soch
2.nirmala kapila ji se shat pratishat sahmat.
3.mujhe bhi subah subah bed chumbak ki tarah pakad leta hai aur main sabko sochte sochte hi breakfast kara deti hoon(asliyet main bete aur pati ko us din breadtoast se hi gujara karna padta hai)

anju said...

main kuch jyada hi soch rahi thi isliye teen bar print ho gaya tha .aapki soch ne mujhe pagla diya hai :)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@6953180110617646254.0

आपको अकाऊंट बैलेंस भी दिख रहा है... अच्छा हो सकता है सोचते वक्त कुछ नही दिखता.. इसलिये मुझे नही दिख रहा..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@3232515270474981382.0

आपकी सुन्दर सोच का शुक्रिया :) हलकान ब्लोगर से अच्छी सोच तो कभी नही हो सकती..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@1724062166774376102.0
जीडीपी विस्फ़ोट... फ़िर सारे अमीर गरीब देश बैठ के सोचेगे.. गोलमेज सम्मेलन होगे.. नये गुट बनेगे.. वाह प्रवीण जी क्या सोचा है आपने.. :)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@1234986612545433297.0

वाह!! जबरदस्त सोच..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@653411057625203617.0

:)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@7755830485717862552.0

इस सोच के लिये मेरी तरफ़ से १०/१०.. जबरदस्त सोच!!

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@8040156566809126294.0

पगलायी हुयी सोच के लिये बधाई :) जोकिग..

PD said...

@8431715683128876603.0 भाट इज जोकिंग भैया, पल्लिज डिस्क्राइब..

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@807948367863836114.0

PD.. वाट इस द ज़ोक.. आस्क द पन्कज़्ज़्ज़..

दीपक 'मशाल' said...

बड़ी लाजवाब सोच का नज़ारा पेश किया धुरंधर भाई.. :) पर मैं अभी तक इसी सोच में डूबा हूँ कि सोचना है या सोंचना है??? :P

अभिषेक आर्जव said...

आपकी इस नयी सोच ने सोचने पर मजबूर कर दिया ....सोच रहा हूं ...

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Bhai mere,
Meri shaadi zaroor ho jati!!!!
Sochne ka to shauq hai mujhe ya kahein ke aib hai!!!
Maza aaya.....
Let me start soching!!!!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Ek sher aur yaad aa gaya yaar!
Kahe bina raha nahin ja raha....
Samhalo, girne na paaye:

Ab to wo bhi mujhse ittefaq rakhte hain!
Apne sabhi alfaz bebak rakhte hain!
Mere Maula! Kya is safar me koi aisa ubaal aaega?
SOCHA karoonga main, aur unko khyaal aaega!?!?!

Happy Soching!

Unknown said...

sir duniyan me koi kam bina soche samjhe nahi hoti hai , kisi bhi kam ke liye pahle sochana hi padata hai jise khyali pulaw bhi bol sakte hai ya hawa me sochana bhi bol skate hai wah soch jab kagaj par aati hai to uski nakal hoti haiya kalpana murti hoti hai aur jab jmin par utarati hai hai to hakikat hoti hai . jaise aapko ek banana hai to pahale hawa me sochana hoga jo bilkul nirakar hoga jab uska naksha kgaj par utarenge to uski prti murti hogi jab makan bn jayega tab hakikat hogi . bina soche duniya me kuchh nahi milata .
arganikbhagyoday.blogspot.com

अजित वडनेरकर said...

टिपियाने के लिए क्या सोचना और क्या भुगतान की ख्वाहिश!!!!
हलकी-फुलकी सुपाच्य, सुबह के नाश्ते जैसी सेहतमंद पोस्ट के लिए शुक्रिया।

डॉ .अनुराग said...

.....वैसे तुम्हारी पहली बात पे एक किस्सा याद आया .......हमारी कजिन की शादी के लिए लड़का देखने लोग गए ....वापस आये तो वो बड़ी उत्सुक थी .वार्तालाप कुछ यूँ हुआ ..मां ओर बाप में ..

लड़का कैसा है
बहुत अच्छा घर है ....पिता जी पी.डब्लू .डी में है कमाई वाला महकमा है ...
ओर लड़का
दो बहने थी दोनों की शादी हो गयी.चार कमरों का मकान है .बिरादरी में इज्ज़त है ...संजोग से ऐसे घर मिलते है
लड़का ?
ग्रे ज्युवेट है .कचहरी में लगा हुआ है सरकारी नौकरी है .....
लड़का ?
दोनों दामाद भले लोग है
लड़का दिखने में कैसा है ?
ठीक है ....लड़के कैसे होते है .....

देवेन्द्र पाण्डेय said...

aalsii ka chittha to yah hona chahie tha...!
majedaar post.

Saumya said...

- कुछ सोंच के दिखाओ? ...lolzz....mazaa aa gaya 'soch' ke....
सोचत सोचत युग गया, सोच सका न कोय..
और सोचन जब पंकज चले, तो सोच बची न कोय...you are too good...:)

monali said...

Behad mazedaar... yakeen maniye agar aapka ye khwaab sach ho jaye to m dunia ki sabse ammer ladki houngi...

monali said...
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दिवाकर मणि said...

पंकज महोदय !! मेरी सोच की अविच्छिन्न परंपरा सुबह पाकिस्तान जाने से लेकर रात सोने तक चलती ही रहती है....एक बात है, मैं आप मान्य ब्लॉगरजनों की तुलना में ज्यादा ही सोचशील प्राणी हूं. हजम नहीं हो रहा ना !! देखिए आप लोग यदि मेरे से ज्यादा सोचते होते तो फिर ब्लॉग पर पोस्ट कैसे लिखते? विश्वास ना हो तो आप अपने और मेरे ब्लॉग की तुलना कर लीजिए....हम इतना सोचते हैं कि पोस्ट लिखने या चेप्पी करने का फालतू टाइम नहीं मिलता...बुझे कि ना आप?? हं नहीं तो...

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@3610896533531505287.0

मेरी भी सोच ठीक करने का शुक्रिया दोस्त..

anju said...

pankaj ji ab nayi post ke baare main sochiye.kab se intzar kar rahi hoon.
pahle radio per ek karykram aata tha "farmaishi geeton ka program "
aaj se "farmaishi post" ka shuru kar rahi hoon.ab sochna chodiye aur likhna shuru kijiye

Apanatva said...

sochane kee gunjaeesh hee nahee rahee bhai hum to follower hee ban baithe.............
be fikr rahiye aur khoob soiye ye mastishk apanee guttheeya neend me bhee suljha hee leta hai jee ........

Apanatva said...

sochane kee gunjaeesh hee nahee rahee bhai hum to follower hee ban baithe.............
be fikr rahiye aur khoob soiye ye mastishk apanee guttheeya neend me bhee suljha hee leta hai jee ........

Mahak said...

Part 1of 4

बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

Mahak said...

आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


1. डॉ. अनवर जमाल जी
2. सुरेश चिपलूनकर जी
3. सतीश सक्सेना जी
4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
5. प्रवीण शाह जी
6. शाहनवाज़ भाई
7. जीशान जैदी जी
8. पी.सी.गोदियाल जी
9. जय कुमार झा जी
10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
11.असलम कासमी जी
12.राजीव तनेजा जी
13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
14.साजिद भाई
15.महफूज़ अली जी
16.नवीन प्रकाश जी
17.रवि रतलामी जी
18.फिरदौस खान जी
19.दिव्या जी
20.राजेंद्र जी
21.गौरव अग्रवाल जी
22.अमित शर्मा जी
23.तारकेश्वर गिरी जी

( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

mahakbhawani@gmail.com

Mahak said...

हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

जय हिंद

महक

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@7382656181433710352.0

महक! आपका विचार सराहनीय है बस कुछ ऎसा ही एक विचार मै तकरीबन दो साल पहले हुये google idea of the century प्रतियोगिता मे दे चुका हू।
http://wakeupbuddha.wordpress.com/2008/10/15/an-idea-can-change-your-life/

लेकिन कुछ बाते है जो विचारणीय है जैसे इससे क्या होगा? क्या वो बिल सच मे पास होगा या फ़िर ब्लाग्स पर ही रह जायेगा? जब यहा किसी की एक ब्लाग पोस्ट पर झमाझम वोटे हो सकती है तो किसी के बिल पर क्यू नही होगी। बुरा मत मानियेगा, आपने लिखा इसीलिये कह रहा हू कि ट्रान्सपैरेन्सी की कमी रहेगी।

लेकिन आप आगे बढे तो अगर सच मे आपका ये नि:स्वार्थ भाव है तो इसे आगे बढने से कोई रोक नही सकता। अभी तो मेरे पास ’समय’ की बहुत कमी है, आप आगे बढिये कभी न कभी फ़िर से मुलाकात होगी।

मैने गूगल को ये आईडिया सिर्फ़ इसलिये दिया था क्यूकि इस आईडिये पर गूगल एक गवर्निग body की तरीके से काम करता और ऎसे मसलो मे एक ईमानदार और साफ़ body चाहिये ही होती है..

सिर्फ़ डिबेट देखना है तो ब्लागजगत पर काफ़ी अच्छे ब्लाग है जो डिबेट और वोटिग सिस्टम रखते है.. चलिये कोई नही.. आप आगे बढे। हमे लिखने का शुक्रिया...

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

@4107155437373355379.0

अन्जु जी, जरूर.. बस सोच कुछ सोचने नही देती :) शुक्रिया, आपके फ़िर से आने का...

bahujankatha said...

सोच पर आपका रिसर्च सोचने लायक लगा। सोच को लेकर इतनी दूर तक पहुँचा जा सकता है। सोच की ऐसी गहराई मज़ेदार रही। मेरी सोच कहती है कि आप क्या सोचते हैं, क्या लिखते हैं और क्या सोच कर पाते हैं। सोच को दिशा देने के लिए सोचना भी ज़रूरी है। सोचे बिना सोच की क्या दिशा?

Unknown said...

testing.........

मीनाक्षी said...

कई दिनों से सोचती रही कि अपनी सोच को यहाँ उतारूँ कि नहीं...पुरानी कोई सोचें उतर आई दिमाग में...उस सोच ने यहाँ आने से रोक दिया ..फिर एक नई सोच ने पुरानी सोच को एक तरफ धकेल दिया..नई सोच आज के दौर की सोच है..जो पुरानी सोच जैसे नहीं सोचती...हालाँकि दिन में 60 हज़ार सोचें आती जाती हैं दिमाग में उनमें 90% एक जैसी सोच होती हैं..उसी कारण यह सोच यहाँ उतर ही गई...मेरी सोच जैसी भी है प्रशंसक सोच है..लेखक की सोच का लोहा मानती है...